पार्टी के फ़ेसबुक ट्विटर को देखिए वहां ये सब है

में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया बनी थी और इसी साल राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ भी बना था. आरएसएस ने खुद को गांव-गांव तक पहुंचाया, तमाम संगठन हैं जो उनके तहत काम करते हैं. एक ज़माने में कम्युनिस्ट पार्टी के भी ऐसे कुछ सांस्कृतिक संगठन थे जैसे इप्टा था. आख़िर आप लोग कहां रास्ता भटक गए?
आरएसएस और उसका जो राजनीतिक अंग है बीजेपी, वो तभी बहुत ज़्यादा प्रभावी दिखते हैं जब सत्ता में होते हैं. जब ये सत्ता में नहीं होते हैं, जैसे जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं थे और गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने कहा था कि आरएसएस का सबसे बड़ा संगठन केरल में है, वहां आप देखिए क्या हाल हो रहा है राजनीति में. इस तरह की पार्टियों को सत्ता में रहने का फ़ायदा हो
कांग्रेस के साथ गठबंधन राज्य के अनुसार तय होगा. देश के स्तर पर देखें तो कभी भी कोई महागठबंधन पहले से तय नहीं होता. आज तक जितनी भी गठबंधन सरकारें बनी हैं, वो चुनाव के बाद ही बने.
इस तरह जो भी गठबंधन होगा वो  चुनाव के बाद बनेगा, बस अभी यह तय किया जाए कि बीजेपी के ख़िलाफ़ वोटों का बंटवारा कम से कम हो.
सवालः आज के ज़माने में भी सोशल मीडिया में आपलोगों की मौजूदगी बहुत ही कम है, जबकि दूसरी तरफ बीजेपी को देखेंया दूसरी पार्टियों और नेताओं को देखें तो वे सोशल मीडिया पर बहुत अधिक एक्टिव रहते हैं. डोनल्ड ट्रंप ट्विटर के ज़रिए विदेश नीतियां तय करते हैं. यह आपकी आलोचना है कि आपका मीडिया सेल नहीं है?
हमारा सोशल मीडिया सेल है, हर एक राज्य में अ
सवालः नरेंद्र मोदी हमेशा खुद ट्वीट नहीं करते, उनकी पार्टी में भी अलग-अलग स्तर पर सोशल मीडिया को संभाला जाता है और हिंदुत्व के एजेंडे को बढ़ाया जाता है. आप लोग अगर जय भीम लाल सलाम कह रहे हैं तो उसको बढ़ाने के लिए ट्विटर या फ़ेसबुक पर कहां प्लैटफ़ॉर्म है?
आप मेरे फ़ेसबुक या ट्विटर पर जाइए, पार्टी के फ़ेसबुक ट्विटर को देखिए वहां ये सब है. हां, एक नेटवर्क बनाने पर विचार कर रहे हैं...
लग-अलग सोशल मीडिया सेल चल रहे हैं. हां, बीजेपी के मुकाबले उतना मज़बूत सोशल मीडिया नहीं है. लेकिन यह भी तो है कि अगर कोई अमरीका का राष्ट्रपति या भारत का प्रधानमंत्री होगा तो उसकी ट्विटर फॉलोइंग भी तो ज़्यादा होगी.
ता है.
सवालः यूपीए 1 की सरकार के वक्त आपकी पार्टी ने भारत-अमरीका के बीच हुए परमाणु समझौते के मुद्दे पर सरकार से खुद को हटा लिया था, उस फ़ैसले को आप आज कैसे देखते हैं.
यूपीए सरकार को हमने एक न्यूनतम कार्यक्रम के आधार पर समर्थन दिया था, ये मुद्दा उस कार्यक्रम का हिस्सा था ही नहीं. हालांकि बाद में हमारी पार्टी ने भी अपनी गलतियों और कमज़ोरियों को पहचाना. अब वो तो इतिहास का हिस्सा बन गया है.
लोगों को यह लगने लगा कि वामपंथी पार्टी के हटने की वजह से यूपीए सरकार कमज़ोर हो गई.
सवालः प्रकाश करात के नेतृत्व ने पार्टी को बहुत पीछे कर दिया, क्या कभी इस पर मंथन हुआ?
हमारी पार्टी में कभी एक व्यक्ति के ऊपर पूरी ग़लती की ज़िम्मेदारी नहीं डाली जाती. जो भी निर्णय होते हैं वह सामूहिक तौर पर लिए जाते हैं. जो भी निर्णय ग़लत होते हैं तो सामूहिक रूप से ही कहा जाता है कि यह ग़लत हो गया.
(हंसते हुए) पहले व्हाट्सएप की ही नेटवर्किंग तो कर लें, जिसके अंदर हम लगे हुए हैं और जल्द ही आपको इसमें सुधार दिखेगा. हालांकि मैं यह मानता हूं कि बाक़ी पार्टियों के मुक़ाबले हमारी सोशल मीडिया में कमजोरी है लेकिन जल्दी ही वह दुरुस्त हो रही है.
यूपीए 1 से समर्थन वापस लेने वाला ही उदाहरण है तो उसमें हमने पाया की सात जगह हमसे ग़लती हुई.

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